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भारतीय समाज की परम्परागत कला एवं संस्कृति की विरासत को संरक्षित करने में हथकरघा बुनकरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हथकरघा बुनकरों के पलायन को रोकने, कला एवं संस्कृति को संरक्षित करने तथा इस कला को विलुप्त होने से बचाने के लिए आवश्यक है कि राज्य सरकार की ओर से विशेष सुविधाएं प्रदान कर हथकरघा बुनकरों का पलायन रोका जाए, ताकि वे हथकरघा व्यवसाय से जुड़कर अपना जीविकोपार्जन कर सकें। साथ ही हथकरघा बुनकर जीवन भर मेहनत कर भारतीय संस्कृति, परम्परा एवं कला को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। जिसके लिए सरकार की ओर से हथकरघा बुनकरों को सम्मान दिया जाना आवश्यक है। हथकरघा बुनकरों की दयनीय आर्थिक स्थिति को सुधारने एवं सम्मान देने के लिए ऐसे हथकरघा बुनकर ही पात्र होंगे, जिनकी न्यूनतम आयु 60 वर्ष हो, किन्तु अधिकतम आयु का कोई बंधन नहीं होगा, अर्थात चयन के पश्चात वे जीवनपर्यन्त इस सम्मान के हकदार होंगे। योजना के अन्तर्गत प्रति बुनकर 500.00 रूपये प्रतिमाह देय है। योजना की दिशा-निर्देश स्वीकृति हेतु प्रक्रियाधीन हैं। योजना के दिशा-निर्देशों के अनुमोदन की प्रत्याशा में वित्तीय वर्ष 2021-22 में 0-01 लाख रुपये का सांकेतिक बजट प्रस्तावित है।